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अनुभूति में सत्येश भंडारी की
रचनाएँ -

चुनाव कविताएँ-
कार और सरकार
प्याज और चुनाव

हास्य व्यंग्य में-
असली नकली दूध
इंटरनेट पर शादी
अँधेर नगरी और पर्यावरण
जंगल का चुनाव
पर्यावरण और कुर्सी

छंदमुक्त में-
अंधा बाँटे रेवड़ी
एक क्रांति का अंत
"गाँधी का गुजरात" या "गुजरात का गाँधी"

संकलन में-
गाँव में अलाव-सर्द हवाओं के बीच
ज्योति पर्व-
क्यों कि आज दिवाली है

 

अँधेर नगरी और पर्यावरण

अँधेर नगरी के
चौपट राजा ने,
अपने चौपटपन का,
अपने दिमाग के दिवालियेपन का,
परिचय दिया।

एक कुत्ता दूसरे कुत्ते पर
भौंक रहा था,
ध्वनि प्रदूषण
फैला रहा था।
सभी गाँव वाले देख रहे थे,
बीच बीच में
पत्थर फेंक रहे थे।

राजा ने सब गाँव वालों को
दोषी ठहराया, और
अपना चौपट फैसला सुनाया।
उलटा लटका दो,
हर एक गाँव वाले को,
गाँव के बाहर
एक एक पेड़ पर।

किस्मत अच्छी थी!
गाँव वाले ज्यादा थे, और
पेड़ कम।
मानवता बच गयी।

दोस्तों!
अगर पेड़ इसी प्रकार कटते रहे, और
जंगल घटते रहे।
तो
एक दिन ऐसा आयेगा,
जब हर एक मनुष्य के हिस्से
एक एक पेड़ तो क्या,
एक एक टहनी या
एक एक पत्ता भी नहीं आयेगा।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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