अनुभूति में
सत्येश भंडारी
की
रचनाएँ -
चुनाव कविताएँ-
कार और सरकार
प्याज और चुनाव
हास्य व्यंग्य में-
असली नकली दूध
इंटरनेट पर शादी
अँधेर नगरी और पर्यावरण
जंगल का चुनाव
पर्यावरण और कुर्सी
छंदमुक्त में-
अंधा बाँटे रेवड़ी
एक क्रांति का अंत
"गाँधी का गुजरात" या "गुजरात का
गाँधी"
संकलन में-
गाँव में अलाव-सर्द हवाओं के बीच
ज्योति पर्व-क्यों कि आज दिवाली है
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कार और सरकार
बहुत बरस हो गये सरकार
आपकी कार चलाते हुए,
चुनाव आने वाले हैं,
इस बार हमें भी
टकिट दलिवा दें,
हम सरकार चलायेंगे।
रिकार्ड है हमारा आज तक का,
नीतनियिम और
कायदे कानून से चलायी है
हर तरह की सड़क पर,
एक भी एक्सीड़ेंट नहीं किया।
इसी तरह चलाऊँगा
नीतनियम और
कायदे कानून से,
इस देश की सरकार।
देखना!
कितनी रफ्तार पकड़ती है,
तरक्की की गाड़ी
इस देश में।
नेताजी मुस्काराए और
मुस्करा कर हँसे, बोले
बड़े भोले हो तुम, बड़ा फर्क है,
सड़क की गाड़ी और
देश की गाड़ी में।
सड़क पर कार चलती होगी
कायदे कानून और नीती से
देश की गाड़ी चलती है
राजनीति से
राजनीति में
कायदे कानून नीति और
नियम नहीं चलते,
यहाँ चलते हैं,
साम दाम दण्ड और भेद।
जाओ टोपी पहन कर आओ,
गाड़ी निकालो,
पार्टी मीटिंग में जाना है।
देश की सरकार चलाना
कोई सड़क पर कार चलाना नहीं,
जो तुम्हारे जैसा सीधा-साधा
ट्रेफिक हवलदार से डरने वाला
नीति-नियमों वाला
चला पायेगा।
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