अनुभूति में
सत्येश भंडारी
की
रचनाएँ -
चुनाव कविताएँ-
कार और सरकार
प्याज और चुनाव
हास्य व्यंग्य में-
असली नकली दूध
इंटरनेट पर शादी
अँधेर नगरी और पर्यावरण
जंगल का चुनाव
पर्यावरण और कुर्सी
छंदमुक्त में-
अंधा बाँटे रेवड़ी
एक क्रांति का अंत
"गाँधी का गुजरात" या "गुजरात का
गाँधी"
संकलन में-
गाँव में अलाव-सर्द हवाओं के बीच
ज्योति पर्व-क्यों कि आज दिवाली है
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एक क्रांति का अंत
पीपल के एक
सूखे हुए पत्ते ने
छोटे से
पत्थर के टुकड़े की
आड़ में से
तूफान की हवाओं के साथ
उड़ने से मना कर दिया।
गुस्साई हवाओं ने
पत्थर के टुड़े के सहित
उसे उड़ा कर
नीम की सड़ी हुई
पत्तियों के ढेर के
बीचो बीच लाकर पटक दिया।
इस तरह
एक क्रांति के
शुरू होने से पहले ही
उसका अंत हो गया।
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