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स्वेटर बुनती हुयी वह
पिछली रात के बाद भी
बचा कर रखे सपने के सुख को
अविश्वसनीय सच के सुख से
जोड़ कर
एक स्वेटर बुनती हुयी वह
वापस हुयी होगी
उसी सपने में
सर्दियों की कोमल धूप में बैठी
सलाइयाँ चलाती
और अपने भीतर उतारती
अपनी ही परछांई
मुस्कुरा रही होगी वह
अपने को स्पर्श करती हुयी
वैसे ही
जैसे उस पुराने और प्रसिद्द चित्र में
अपने को स्पर्श करती हुयी
मोनालिज़ा
मुस्कुरा रही थी
और कोमल धूप खिल रही थी
सर्दियों की सुबह की तरह ,
एक सपना पनप रहा था
उसके भीतर
उसी सपने की आहट ले रही थी
मोनालिज़ा
अविश्वसनीय सुख के सच को
स्पर्श करती हुयी
अपने भीतर...
४ नवंबर २०१३
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