अनुभूति में
डा. सरस्वती माथुर की रचनाएँ -
नये हाइकु-
धूप पंखुरी
हाइकु में-
सर्द दिन
माहिया में-
धूप छाँह सा मन
छंदमुक्त में-
खेलत गावत फाग
गुलाबी अल्हड़ बचपन
मन के पलाश
महक फूलों की
माँ तुझे प्रणाम
क्षणिकाओं में-
आगाही
एक चट्टान
संकलन में-
वसंती हवा-फागुनी आँगन
घरौंदा
धूप के पाँव-अमलतासी धूप
नववर्ष अभिनंदन-नव स्वर देने को
|
|
धूप पंखुरी
१
चिरैया उड़ी
तेज आँधी से लड़ी
बिखरे पंख।
२
नींद नदी-सी
लहरों-सा सपना
बहता रहा।
३
दूर है नाव
लहराता-सा पाल
हवा उदास।
४
भीगे हैं तट
पदचाप बनाती
बिखरी रेत।
५
नदी-सा मन
बहता लहरों-सा
सागर हुआ।
६
डूबती साँझ
जीवन-सी उतरी
विदा के रंग
७
धूप-पंखुरी
खिली फागुन बन
बजे मृदंग
९ मार्च २०१५
|