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अनुभूति में डा. सरस्वती माथुर की रचनाएँ -

माहिया में-
धूप छाँह सा मन

छंदमुक्त में-
खेलत गावत फाग
गुलाबी अल्हड़ बचपन
मन के पलाश
महक फूलों की
माँ तुझे प्रणाम

क्षणिकाओं में-
आगाही
एक चट्टान

संकलन में-
वसंती हवा-फागुनी आँगन
घरौंदा
धूप के पाँव-अमलतासी धूप

नववर्ष अभिनंदन-नव स्वर देने को

 

खेलत गावत फाग

फागुनी धूप में
होली के रंग
भीगे आँगन में
बज रहे हैं चंग
होली आ गई रे
बज रहे हैं चंग
गाँव ताल चौपाल

भू से नभ तक
उड़ रही गुलाल
होली आ गई रे
मकरंद-सी चारों ओर
फाग की पतंग से
बँधी अबीर की डोर
होली आ गई रे
खेलत गावत फाग

फागुन के बासंती राग
बज रहे हैं मस्ती के मृदंग
मस्ती छा गई रे
होली आ गई रे

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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