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नव
वर्ष अभिनंदन |
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नया वर्ष |
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नया वर्ष
संगीत की बहती नदी हो
गेहूँ की बाली दूध से भरी हो
अमरूद की टहनी फूलों से लदी हो
खेलते हुए बच्चों की किलकारी हो नया वर्ष
नया वर्ष
सुबह का उगता सूरज हो
हर्षोल्लास में चहकता पाखी
नन्हे बच्चों की पाठशाला हो
निराला-नागार्जुन की कविता
नया वर्ष
चकनाचूर होता हिमखंड हो
धरती पर
जीवन अनंत हो
रक्तस्नात भीषण दिनों के बाद
हर कोंपल, हर कली पर छाया वसंत हो
अनिल जनविजय
1 जनवरी 2008
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नववर्ष तुम लेकर आना
नव उमंग नव तरंग नव उल्लास
तुम लेकर आना,
नयी आशा नया सवेरा नया विश्वास
तुम लेकर आना,
भूल जाएँ सब ज़ख्म पुराने
ऐसा मरहम तुम लेकर आना।
नव चेतना नव विस्तार नव संकल्प
तुम लेकर आना
विश्व शांति हरित क्रांति श्रम शक्ति
तुम ले कर आना,
प्रगति पथ प्रशस्त बने
ऐसा विकास तुम लेकर आना
नव सृजन, नव आनंद नवोदय
तुम लेकर आना।
आत्मबोध, आत्मज्ञान, आत्मविश्वास
तुम लेकर आना
दूर अँधेरे सब हो जाएँ
ऐसा सुप्रभात तुम लेकर आना।
पूनम मिश्रा
1 जनवरी 2007
नव स्वर देने को
आओ,
इस नववर्ष पर
खोलें वातायन
परिचय के
और निस्तरंग
जीवन में
हवा के
बिखरे पन्नों को
समेट कर
खोजें
पाँव लक्षित पथ के
और
नव-स्वर
देने को
कुछ इधर चलें
कुछ उधर चलें
फिर मिल जाएँ
एकजुट हो
शक्ति के उद्गम
पर
सरस्वती माथुर
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