अनुभूति में
डा. सरस्वती माथुर की रचनाएँ -
माहिया में-
धूप छाँह सा मन
छंदमुक्त में-
खेलत गावत फाग
गुलाबी अल्हड़ बचपन
मन के पलाश
महक फूलों की
माँ तुझे प्रणाम
क्षणिकाओं में-
आगाही
एक चट्टान
संकलन में-
वसंती हवा-फागुनी आँगन
घरौंदा
धूप के पाँव-अमलतासी धूप
नववर्ष अभिनंदन-नव स्वर देने को
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धूप छाँह सा मन
१
धूप छाँव- सा मन है
घर के आँगन में
कितना अपनापन है
२
जीवन की बही लहर
धार -धार चलती
सुख -दुख से भरी डगर
३
जूही-सा नाज़ुक मन
ओढ़ उदासी को
बैठा सूने आँगन
४
ले आ डोली कहार
दूर चले जाना
घर में बचे दिन चार
५
चरखा है यादों का
आँखों में काता
सपना बस वादों का
१४ मई २०१२
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