याद जब आए
याद जब आए तो रोया कीजिए।
अपने ही गालों को धोया कीजिए।
मिल न पाएगा तुम्हें दामन कोई,
अपना ही दामन भिगोया कीजिए।
राह जब भी ना नज़र आए कोई,
तान कर चादर को सोया कीजिए।
दर्द सिर्फ चाहो भला क्यों
प्यार के,
पाँव में काँटे चुभोया कीजिए।
कुछ अजूबा करने की ख्वाहिश जो
हो,
बाग में पत्थर को बोया कीजिए।
१६ अक्तूबर २००५ |