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अनुभूति में पराग कुमार मांदले की रचनाएँ—

तीन होली रचनाएँ-
छोड़ दे अब तो
रूप तुम्हारा
होली

अंजुमन में-
अपना जीवन
किस्मत ने
परदा इतना झीना कैसा
बैर
मुझपे अगर नज़र
मेहनत का पैगाम
याद जब आए
हादसे

कविताओं में-
बावजूद इसके

संकलन में—
वर्षा मंगल–बरखा रानी

  अपना जीवन

अपना जीवन तपती छाया।
कुछ समझा, कुछ समझ न आया।

जिसने दु:ख को भोगा, जाना,
उसको हमने अपना पाया।

हमने बस स्वीकार किया है,
जब, जिसने, जो भी फ़रमाया।

सबका अपना ढंग जुदा है,
मैं रोया और वो चिल्लाया।

कैसे नफ़रत कर पाऊँगा?
हर आदम मेरी माँ का जाया।

१६ अक्तूबर २००५

 

 

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