बैर
बैर किसी को नहीं फला है।
तुमने खुद अपने को छला है।
आदम के हर रूप में उनका
अल्ला, अपना राम जला है।
मैं भी इंसां, तू भी इंसां,
क्यों हममें शैतान पला है?
कैसे कह दें गै़र मरेगा,
हाथ भी अपने, अपना गला है।
पेट तो रोटी ही माँगेगा,
नफ़रत से कब काम चला है?
१६ अक्तूबर २००५
|