वे दिन
वर्तमान सदा रहा है बोर
दैनिक चिंताओं और परेशानियों का शोर
कितना मधुर होता है अतीत
वर्तमान जब होता है व्यतीत।
वह स्कूल औ' कॉलेज के दिन
चिंता परीक्षाओं की, किताबों की घुटन
अनुशासन में बँधा तब का जीवन
आज लगता कितना स्वच्छंद
वह बाप की डपट औ' माँ की फटकार
पहली सिगरेट सुलगाते जब चाचा ने देखा
वह काफ़ी हाउस के झगड़े तोड़फोड़
खींच रहे हैं होठों में स्मित रेखा
एक के बाद एक आ रहे हैं
बीते दिन पकड़कर यादों की डोर
और अपेक्षा में बैठा हूँ मैं
कब जाएगा वर्तमान अतीत की ओर
9 मई 2006
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