पुरुष का संदेश नारी के नाम
तुम नदी, मैं तीर
तुम क्षीर, मैं नीर
तुम प्यार तो मैं पीर हूँ
तुम धरणि तो मैं धीर हूँ
तुम ऊर्जा, मैं शक्ति
मैं पुजारी, तुम भक्ति
मैं कर्ता तो तुम कारक हो
मैं दायक तो तुम पूरक हो
न मैं शूची में धागा पिरोऊँ,
न ही तुम कुल्हाड़ी उठाओ
बराबर की साझेदारी है
कंधे से कंधा मिलाओ
भिन्न कार्यक्षेत्र है, भिन्न है शरीर रचना,
नारीवाद का नारेबाज़ों से बच के रहना
16 अप्रैल 2007
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