अनुभूति में
जयप्रकाश मानस की रचनाएँ—
नयी रचनाओं में-
आम आदमी का सामान्य ज्ञान
गिरूँगा तो उठूँगा
जब कभी होगा जिक्र मेरा
तब तक
निहायत छोटा आदमी
बचे रहेंगे
छंदमुक्त में—
अंधा कुआँ
अभिसार
आकाश की आत्मकथा
चौपाल
नदी
पाँच छोटी कविताएँ
पुरखे
प्रायश्चित
बचे रहेंगे सबसे
अच्छे
वज़न
क्षणिकाओं में—
छाँव निवासी
बाज़ार
पहाड़
पाठ
|
|
जब कभी होगा जिक्र मेरा
याद आएगा
पीठ पर छुरा घोंपनेवाले मित्रों के लिए
बटोरता रहा प्रार्थनाओं के फूल कोई
मन में ताउम्र
याद आएगा
बस्ती की हारी हुई हर बाजी को
जीतने की क़शमक़श में ही
मारा गया बिल्कुल निहत्था कोई
भाग खड़ी हुई
चिर-परिचित परछाइयों की सांत्वना के साथ
याद आएगा
कोई जैसे
लम्बे समय की अनावृष्टि के बाद की बूँदाबाँदी
संतप्त खेतों में, नदी पहाड़ों में, हवाओं में
कि नम हो गई गर्म हवा
कि विनम्र हो उठा महादेव पहाड़ रस से सराबोर
कि हँस उठी नदी डोंडकी खिल-खिलाकर
कि छपने लगी मुक्त कविता
सुबह दुपहर शाम छंदों में
याद आएगा
कोई
जिक्र जिसका हो रहा होगा
वह बन चुका होगा वनस्पति
जिसकी हरीतिमा में तुम खड़े हो
बन चुका है आकाश की गहराइयाँ
जिसमें तुम धँसे हो
याद आएगा
कोई टिमटिमाता हुआ
लोककथाओं की पूर्वज तारा की तरह
अँधेरों के ख़िलाफ़ रातों में अब भी
जब कभी होगा ज़िक्र मेरा
याद आएगा
छटपटाता हुआ वह स्वप्न बरबस
आँखों की बेसुध पुतलियों में९ फरवरी २०१५ |