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बाज़ार

पहाड़

पाठ

 

वज़न

धरती का वैभव ऊँचाई आकाश की
सूरज की चमक या हो
चंदा की चाँदनी
पूरी भलमनसाहत
सारा-का-सारा पुण्य
समूची पृथ्वी पलड़े में
चाहे रख दो सावजी
डोलेगा नहीं काँटा
रत्ती भर
किसी ने रख दिया है चुपके से
रत्ती भर प्रेम दूसरे पलड़े में

१ अप्रैल २००६

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