अनुभूति में
जयप्रकाश मानस की रचनाएँ—
नयी रचनाओं में-
आम आदमी का सामान्य ज्ञान
गिरूँगा तो उठूँगा
जब कभी होगा जिक्र मेरा
तब तक
निहायत छोटा आदमी
बचे रहेंगे
छंदमुक्त में—
अंधा कुआँ
अभिसार
आकाश की आत्मकथा
चौपाल
नदी
पाँच छोटी कविताएँ
पुरखे
प्रायश्चित
बचे रहेंगे सबसे
अच्छे
वज़न
क्षणिकाओं में—
छाँव निवासी
बाज़ार
पहाड़
पाठ
|
|
बचे रहेंगे
नहीं चले जाएँगे समूचे
बचे रहेंगे कहीं न कहीं
बची रहती हैं दो-चार बालियाँ
पूरी फ़सल कट जाने के बावजूद
भारी-भरकम चट्टान के नीचे
बची होती हैं चींटियाँ
बचे रहेंगे ठीक उसी तरह
सूखे के बाद भी
रेत के गर्भ में थोड़ी-सी नमी
अटाटूट अँधियारेवाले जंगल में
आदिवासी के चकमक में आग
लकड़ी की ऐंठन कोयले में
टूटी हुई पत्तियों में पेड़ का पता
पंखों पर घायल चिडि़यों की क़शमक़श
मार डाले गए प्रेमियों के सपने ख़त में
बचा ही रह जाता है
९ फरवरी २०१५ |