अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में डा. हरीश सम्यक की रचनाएँ-

छोटी कविताओं में-
चार छोटी कविताएँ

नयी रचनाओं में-
आनंद की अनुभूति
खुली छत पर
दोपहर
फूल तोड़ने से पहले
समय का आकर्षण

छंदमुक्त में-
आज भी
मैं की जिद
वादों के झगड़े
सड़क पर
सुबह का चेहरा

 

वादों के झगड़े

समाजवाद
और मार्क्सवाद के मालिक
आपस में लड़ते रहते हैं
यह उनकी आदत बन चुका है
उसी तरह दूसरों को उपदेश देना भी
भाइयों संगठित हो जाओ
और एकजुटता से संघर्ष करो
पूँजीवाद कहता है
लड़वाओ और राज करो
ये कहते लिखते हैं
खुद लड़ते रहो
अपना अपना अहम पाले
और दुसरों के स्वाभिमान के
कंधे झुकाओ

१५ फरवरी २०१६

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter