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मैं की जिद
वादों के झगड़े
सड़क पर
सुबह का चेहरा

 

खुली छत पर

बढ़ती तपिश के बीच
खुली छत पर
स्याह आसमान के नीचे
ढलती शाम में
हवा के सकून भरे झोंके
झाँकता हुआ चाँद
और साथ निभाता एक तारा
खुमारी की चढ़ती मद्धिम लहर में
अच्छे दोस्तों की तरह
साथ निभाते हुए
मुस्कुराहट सजाते लगते हैं
और भी बहुत कुछ
यादों का हाथ पकड़
साथ साथ गुनगुनाया करता है।

१ नवंबर २०१६

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