अनुभूति में
बलदेव पांडे
की रचनाएँ-
अंतर्द्वन्द्व
अभिव्यक्ति
ऋषिकेश
एक और शाम
एक नई दिशा
गौरैया
पूरी रात की नींद
साँवली
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साँवली
बंद आँखों में उसकी तस्वीर,
ओठों पर खिलती मुस्कान
कोमल-सी छुईमुई बावरी सखी,
अल्हड़ मदमस्त यौवन
जी चाहता निहारता रहूँ अपलक उसे,
सुबह की ओस बूँद,
गौरैयों की चपलता
जेठ में ठंडी ब्यार,
वह साँवली जामुनी अलबेली
शर्मिली बाला
दिल के झरोखों में कैद उसकी यादें,
बरसाती शाम,
तिरछी आँखों से लेती विदाई
और टीसता नासूर
सावन का मोर मन में ही झूमता अलमस्त
जीते जी ही मोक्ष,
आज दिल आँसूओं की भाषा समझता
शांत कबूलने लगता अपना पागलपन
कभी वह दीख जाती बादलों में छुपी छुपी-सी
कभी मंदमंद मुस्कुराती
ओझल हो जाती हरियाली आँचल में,
वह मृगनयनी,
मादक कठपुतली
दीख जाती सपने में कभी
सांवली लचकती,
आँखें मूँदकर पी लेता मधुरस
पा लेता एक नया जन्म
२५ मई २००९
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