अनुभूति में
बलदेव पांडे
की रचनाएँ-
अंतर्द्वन्द्व
अभिव्यक्ति
ऋषिकेश
एक और शाम
एक नई दिशा
गौरैया
पूरी रात की नींद
साँवली
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ऋषिकेश
गेरुआ कपड़े,
सिर मुडाए
वेदान्ती,
पतंजलियोग,
जन्म से मोक्ष
कलकल बहती गंगा,
एक डुबकी
एक नया जन्म,
एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव के यात्री
अपने होने का अर्थ तलाशते
आँखें मूँद लेते
आँसू थम जाते झिल्ली बनकर,
पूर्ण आस्था,
अनन्य भक्ति,
स्थितिप्रज्ञता
छोटी लगती ज़िन्दगी,
संध्या
गंगा की आरती,
प्रान्जल्य धाराओं पर अधबुझे दीये
वैरागी मन,
शांत,
आश्वस्त सोचता
आकलन करता जीवन का गणित,
राम-लक्ष्मण झूले पर झूलती आत्माएँ
पुरखों को मनन कर
सूरज को गंगाजल अर्पित करते हाथ,
कुकून से निकलता कीड़ा
जीवन की सच्चाई,
दिन-रात का अनवरत घूमता चक्र
भूख से मुक्ति का संघर्ष,
आज की चिन्ता
सद्गति
मोक्ष की कामना
एक छोर से दूसरे छोर तक लटकता वह राम झूला
ऊहापोह,
हरि ॐ तत् सत
२५ मई २००९
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