पलक
आँख मारना
वस्तुत:
पलक को
एक ख़ास अंदाज़ में
गति देना भर है।
इस समूची क्रिया में
आँख की भूमिका
नगण्य है
पर बदनामी
आँख की ही है।
आँख का पलक से
क्या रिश्ता है
बस यों समझो
लैला-मजनूँ का किस्सा है।
आँख नज़ारा है
तो पलक
उस नज़ारे का
दरवाज़ा है।
आँख से यों तो
सब दिखता है
पर पलक का
आँख को
पता ही न चलता है।
9 जुलाई 2007
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