अनुभूति में
विज्ञानव्रत
की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
उनसे मिलने जाना है
दिल भी वो है
मेरे सपनों का किरदार
मैं हूँ तेरा नाम पता
या तो हमसे
अंजुमन में-
एक सवेरा साथ रहे
जैसे बाज़ परिंदों में
तनहा क्या करता
तपेगा जो
तुमने जो पथराव जिये
तेरा ही तो हिस्सा हूँ
बच्चे
मैं था तनहा
रस्ता तो इकतरफ़ा था |
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मेरे सपनों का
किरदार
मेरे सपनों का किरदार
काश कि मिल जाए इक बार
तू भी जीत न पाएगा
और न होगी उसकी हार
घर का मालिक कोई और
हम, तुम सिर्फ़ किरायेदार
अपनी खोज-ख़बर भी ले
पढ़ता रहता है अख़बार
तुझ पर सबकी नज़रें हैं
जाकर अपनी नज़र उतार!
२७ फरवरी २०१२
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