अनुभूति में
विज्ञानव्रत
की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
तनहा क्या करता
तपेगा जो
बच्चे
मेरे सपनों का किरदार
मैं था तनहा
अंजुमन में-
एक सवेरा साथ रहे
जैसे बाज़ परिंदों में
तुमने जो पथराव जिये
तेरा ही तो हिस्सा हूँ
रस्ता तो इकतरफ़ा था |
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दिल भी वो है
दिल भी वो है धड़कन भी वो
चेहरा भी वो दरपन भी वो
जीवन तो पहले भी था
अब जीवन का दर्शन भी वो
आजादी की परिभाषा भी
जनम जनम का बंधन भी वो
बिंदी की खामोशी भी है
खन खन करता कंगन भी वो
प्रश्नों का हल भी लगता है
और जटिल-सी उलझन भी वो
२७ फरवरी २०१२
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