अनुभूति में
विज्ञानव्रत
की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
उनसे मिलने जाना है
दिल भी वो है
मेरे सपनों का किरदार
मैं हूँ तेरा नाम पता
या तो हमसे
अंजुमन में-
एक सवेरा साथ रहे
जैसे बाज़ परिंदों में
तनहा क्या करता
तपेगा जो
तुमने जो पथराव जिये
तेरा ही तो हिस्सा हूँ
बच्चे
मैं था तनहा
रस्ता तो इकतरफ़ा था |
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मैं था तनहा
मैं था तन्हा एक तरफ़
और ज़माना एक तरफ़
तू जो मेरा हो जात
मैं हो जाता एक तरफ़
अब तू मेरा हिस्सा बन
मिलना-जुलना एक तरफ़
यूँ मैं एक हक़ीकत हूँ
मेरा सपना एक तरफ़
फिर उससे सौ बार मिला
पहला लमहा एक तरफ़!
१४ फरवरी २०११
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