अनुभूति में
विज्ञानव्रत
की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
उनसे मिलने जाना है
दिल भी वो है
मेरे सपनों का किरदार
मैं हूँ तेरा नाम पता
या तो हमसे
अंजुमन में-
एक सवेरा साथ रहे
जैसे बाज़ परिंदों में
तनहा क्या करता
तपेगा जो
तुमने जो पथराव जिये
तेरा ही तो हिस्सा हूँ
बच्चे
मैं था तनहा
रस्ता तो इकतरफ़ा था |
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मैं हूँ तेरा
नाम पता
मैं हूँ तेरा नाम-पता
जा अब ख़ुद को ढूढ़ के ला
मैं बरसों खामोश रहा
तू मिलता तो कुछ कहता
मैं तेरा अहसास रहा
मुझको ये एहसास न था
तब तक उसका जिक्र हुआ
जब तक मैं तहरीर न था
मैं घर का वो हिस्सा था
जिस पर सारा घर झगड़ा
२७ फरवरी २०१२
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