अनुभूति में
सतीश कौशिक
की रचनाएँ-
नई रचनाओं में
अब शहर की हर फिजा
किसी के ख्वाब में
रेहन हुए सपने भी
सोचों को शब्द
अंजुमन में-
आ गजल कोई लिखें
दर-बदर ख़ानाबदोशों को
फिर हवा आई
सच को जिसने
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सच को जिसने
सच को जिसने भी
सच कहा होगा
तन्हा-तन्हा सदा रहा होगा
ग़ौर से देख उसकी आँखों में
कोई ख़्वाबों का काफ़िला होगा
हँस के मिलता है बा-अदब सबसे
ये कोई शहर में नया होगा
आँख में उसकी कुछ नमी-सी थी
ख़त कोई देर से मिला होगा
यूँ ही तू मुन्तज़िर नहीं मेरा
मुझमें अपना-सा कुछ दिखा होगा
पूछ उससे जो राह में चुप है
उसको हर राह का पता होगा
ठीक हैं मेहरबानियाँ तेरी
कुछ तो मेरा भी हौसला होगा
९ जनवरी २०१२
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