अनुभूति में
सतीश कौशिक
की रचनाएँ-
नई रचनाओं में
अब शहर की हर फिजा
किसी के ख्वाब में
रेहन हुए सपने भी
सोचों को शब्द
अंजुमन में-
आ गजल कोई लिखें
दर-बदर ख़ानाबदोशों को
फिर हवा आई
सच को जिसने
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आ
गजल कोई लिखें
आ गजल कोई लिखें
बेहाल-बेचारों के नाम
शहर की सहमी हुई खामोश दीवारों के नाम
जब मिली ना रात में कन्दील ढूँढ़े से कोई
हमने ख़त लिक्खे लहू से चाँद और तारों के नाम
रहरवानों की भला इस बेदिली को क्या कहें
लिख दिये सारे मराकिज चन्द बटमारों के नाम
आज फिर साक़ी तेरी नजरों में हैं गुस्ताख़ियाँ
आज फिर आयेंगे कुछ इल्जाम मयखारों के नाम
इस दहकती ज़िन्दगी में सर्द यादों का समाँ
शबनमी पैगाम जैसे सुर्ख़ अंगारों के नाम
९ जनवरी २०१२
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