अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में डॉ मनोज श्रीवास्तव की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
भीड़ का हिस्सा रहा तब
लम्हे-लम्हे पर

सब सियासी चाल हैं
साज़िश फँसकर रह जाएगी
सूरज भी मेरी गोद में

छंदमुक्त में-
अतीत
क्रिकेट का हवाओं के साथ खिलवाड़
स्वस्थ धुओं का सुख

अंजुमन में-
दिल्लगी
पत्थरों सा दिल
बिखरे हैं जो कचरे

मेरे गीतों में

  सूरज भी मेरी गोद में

सूरज भी मेरी गोद में है खेलता आया
मैं हूँ वो हिमालय, कहो नाज़ है अब्दुल

मैं चाँद को हूँ चूमता पुरवाई लहर से
तारों औ' सितारों से साँठगाँठ है अब्दुल

गंगा से सिंधु तक चौरस है मेरा वक्ष
बादल पर कदम हैं मेरे जाँबाज़ हूँ अब्दुल

क़ातिल हो तुम वतन के सरहद के पार से
मैं चैन और सुकून का वल्ग़ार हूँ अब्दुल

बरसा लो तुम बारूद इधर से या उधर से
दहशत के ख़ात्मे का आगाज़ हूँ अब्दुल

शेखीभरी मुल्लागिरी, पंडागिरी ख़ारिज़
इंसाफ़ की देशांतरी रेखा हूँ मैं अब्दुल

चुग-चुग के मेरे दाने बनते हो ख़्फ़्त बाज़
मुर्गा बनाऊँगा तुम्हें, ऐलॉन है अब्दुल

११ नवंबर २०१३

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter