वो जब अपनी खबर
वो जब अपनी खबर दे है
जहाँ भर का असर दे है
चुराकर कौन सूरज से
ये चंदा को नजर दे है
है मेरी प्यास का रुतबा
जो दरिया में लहर दे है
कहाँ है जख्म औ मालिक
यहाँ मरहम किधर दे है
रगों में गश्त कुछ दिन से
कोई आठों पहर दे है
जरा-सा मुस्कुरा कर वो
नयी मुझको उमर दे है
रदीफ़ो-काफ़िया निखरे
गजल जब से बहर दे है
५ अप्रैल २०१० |