एक मुद्दत से
एक मुद्दत से हुये हैं वो हमारे यूँ तो
चाँद के साथ ही रहते हैं सितारे, यूँ तो
तू नहीं तो न शिकायत कोई, सच कहता हूँ
बिन तेरे वक्त ये गुजरे न गुजारे यूँ तो
राह में संग चलूँ ये न गवारा उसको
दूर रहकर वो करे खूब इशारे यूँ तो
नाम तेरा कभी आने न दिया होठों पर
हाँ, तेरे जिक्र से कुछ शेर सँवारे यूँ तो
तुम हमें चाहो न चाहो, ये तुम्हारी मर्जी
हमने साँसों को किया नाम तुम्हारे यूँ तो
ये अलग बात है तू हो नहीं पाया मेरा
हूँ युगों से तुझे आँखों में उतारे यूँ तो
साथ लहरों के गया छोड़ के तू साहिल को
अब भी जपते हैं तेरा नाम किनारे यूँ तो
५ अप्रैल २०१० |