खबर मिली है
खबर मिली है जब से ये कि उनको हमसे प्यार है
नशे में तब से चाँद है, सितारों में खुमार है
मैं रोऊँ अपने कत्ल पर, या इस खबर पे रोऊँ मैं
कि कातिलों का सरगना तो हाय मेरा यार है
ये जादू है लबों का तेरे या सरूर इश्क का
कि तू कहे है झूठ और हमको ऐतबार है
सुलगती ख्वाहिशों की धूनी चल कहीं जलायें और
कुरेदना यहाँ पे क्या, ये दिल तो जार-जार है
ले मुट्ठियों में पेशगी महीने भर मजूरी की
वो उलझनों में है खड़ा कि किसका क्या उधार है
बनावटी ये तितलियाँ, ये रंगों की निशानियाँ
न भाये अब मिज़ाज को कि उम्र का उतार है
भरी-भरी निगाह से वो देखना तेरा हमें
नसों में जलतरंग जैसा बज उठा सितार है
तेरे वो तीरे-नीमकश में बात कुछ रही न अब
खलिश तो दे है तीर, जो जिगर के आर-पार है
५ अप्रैल २०१० |