अनुभूति में
गौतम राजऋषि की
रचनाएँ -
नई रचनाओं में-
अबके ऐसा दौर
एक मुद्दत से
उँड़स ली
खबर मिली है
जल गई है फ़सल
वो जब अपनी खबर
अंजुमन में-
दूर क्षितिज पर सूरज चमका
सीखो आँखें पढ़ना
हवा जब किसी की कहानी
हादसा हो जाएगा
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सीखो आँखें पढ़ना
सीखो आँखें पढ़ना साहिब
होगी मुश्किल वरना साहिब
सम्भल कर इल्जामें देना
उसने खद्दर पहना साहिब
तिनके से सागर नापेगा
रख ऐसे भी हठ ना साहिब
दीवारें किलकारी मारें
घर में झूले पलना साहिब
पूरे घर को महकाता है
माँ का माला जपना साहिब
सब को दूर सुहाना लागे
ढ़ोलों का यूँ बजना साहिब
कितनी कयनातें ठहरा दे
उस आँचल का ढ़लना साहिब
१९ जनवरी २००९ |