अनुभूति हमारी हुई सात की,
कदम आठ में आज बढ़े
सुंदर-सुंदर रचनाओं के, मिले हमें सौगात बड़े
हर सप्ताह निखर कर आई,
ज्यों-ज्यों होती गई बड़ी।
दोहे, गीत, गज़ल, कविता की,
लिए हाथ में नई लड़ी
चुन-चुन करके संपादक ने,
काव्य-सुमन हैं खूब जड़े
अनुभूति हमारी हुई सात की, कदम आठ में आज बढ़े
इसके हुए मुरीद हज़ारों,
कवि, पाठक भी जग भर में
पहुँचे सही समय पर सजधज,
ये दुनिया में पल-भर में
आयु हज़ारों वर्ष मिले, हम
करें दुआएँ खड़े-खड़े
अनुभूति हमारी हुई सात की, कदम आठ में आज बढ़े
-- संतोष कुमार सिंह |