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                              नव 
                              वर्ष अभिनंदन |  |  
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                                नूतन वर्ष |  
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                                  |  | देखो नूतन वर्ष है आयाधरा पुलकित हुई गगन मुस्काया
 किंचित चिंताओं में डूबा कल
 ढूँढ़ ही लेगा नया वर्ष कोई हल
 देखो नए साल का पहला पल
 क्षितिज के उस पार है उभर आया
 ये देख-देख कर धरती है सँवर गईचेहरों पर फिर से मुसकानें बिखर गई
 तरुणाइयों में डूब गया जग
 हर्ष का कोलाहल सभी ओर फैलाया
 आलौकिक आनंद मे डूबी कायाउन्मादों का जश्न है छाया
 गिरि उपवन वन में उल्लास भरा
 सरिताओं में है एक नयापन आया
 माँ विपदाओं का कर निवारणजग के आँचल मे खुशियाँ भर दे
 मानव मानव का न करे संहार
 माँ तू ऐसा उनको वर दे
 बाँटो खुशियों के क्षण
 सब मिलकर क्षण है ऐसा आया
 पाराशर गौड
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                                नए 
                                वर्ष का वंदन कर लें 
                                आओ हम अभिनंदन कर लें।नए वर्ष का वंदन कर लें।।
 
                                नव प्रभात की स्वर्ण-रश्मियाँ,मंगल कलश लिए आईं।
 भरें नई स्फूर्ति प्राण में,
 दिन बन जाएँ सुखदाई।।
 
                                थके-तपे जीवन को फिर से,नए वर्ष में चंदन कर लें।
 
                                चुभे न कोई खार किसी के,बिछें फूल ही जीवन-मग में।
 पुलकित होंय हृदय जन-जन के,
 प्रेम सुधा रस बरसे जग में।।
 
                                कटुता, हिंसा छोड़ सत्य से,हम जीवन को 
                                कुंदन कर लें।
 
                                जीवन बगिया में खुशियों के,नाचें मन के मोर सदा।
 मानव-मानव में रिश्तों की,
 होवे दृढ़ हर डोर सदा।।
 
                                ईश्वर सारे दुखियाओं का,नए वर्ष में क्रंदन हर लें।
 
                                संतोष कुमार सिंह1 
                                जनवरी 2008
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