नए वर्ष में घिरे न तूफ़ानों की आँधी
नए वर्ष में सूली चढ़े न ईसा गांधी
नए वर्ष में फिर संस्कृति को दाग ना लगे
नए वर्ष में गिरजाघर में आग ना लगे
धार्मिकों को भी थोड़ी-सी शर्म सतावे
कुष्ट सेवियों को कोई ज़िंदा न जलावे
नए वर्ष में दफ़्तर के जैसा दफ़्तर हो
सरस्वती की पूजा होवे, पर घर पर हो
सूरज के आगे आगे अंधियारे ना हों
इतिहासों के निर्माता हत्यारे ना हों
नए वर्ष में बिन रिश्वत के काम हो सके
पद मद अंधों का आराम हराम हो सके
नए वर्ष में जाति धर्म के सब दल टूटें
सच्चाई बह निकले जब भी फोड़े फूटें
पेट्रोल डीज़ल की दर भी और ना चढ़े
नए वर्ष में अनियोजित परिवार ना बढ़े
नए वर्ष में कम मच्छर हों कम खटमल हों
नए वर्ष में रोज़ आपके नल में जल हो
नए वर्ष में रोज़ नियम से बिजली आए
घी में पाँचों उँगली हों घी असली आए
नए वर्ष में अधिक पेट पर वेट न आए
नए वर्ष में ट्रेन आपकी लेट न आए
शेयरवालों के शेयर के रेट ना गिरें
बातचीत में मोबाइल का नेट ना गिरे
बीमारी में अस्पताल पर ताला न हो
और डॉक्टर मंत्र चिकित्सा वाला न हो
नए वर्ष में जमे जगत में धाक आपकी
नए वर्ष में रहे सलामत साख आपकी
नए वर्ष में संवादों की धार न टूटे
नए वर्ष में मिले नियम से डाक आपकी
वीरेंद्र जैन
1 जनवरी 2008
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