अनुभूति में
दीपिका जोशी 'संध्या'
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संकलन में
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हो बहुत मुबारक नया साल
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कुक्कूं मुर्गा
ममतामयी–
माँ एक याद
काव्यचर्चा में-
सिर्फ एक कोशिश
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हो बहुत
मुबारक नया साल
पहने सपनों की विजय माल
हो बहुत मुबारक नया साल
नये साल की नयी किरन
सब गान मधुर पावन सुमिरन
सब नृत्य सजे सुर और ताल
हो बहुत मुबारक नया साल
फिर से उम्मीद के नये रंग
भर लायें मन में नित उमंग
खुशियाँ ही खुशियाँ बेमिसाल
हो बहुत मुबारक नया साल
उपहार पुष्प मादक गुलाब
मीठी सुगंध उत्सव शबाब
शुभ गीत नृत्य और मधुर ताल
हो बहुत मुबारक नया साल
२४ अक्तूबर २००५ |