अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में दीपिका जोशी 'संध्या' की अन्य रचनाएँ-



छंमुक्त में-
कोमल मन
पाठशाला जाना है
मौसम के परिवर्तन
हो बहुत मुबारक नया साल

संकलन में
ज्योतिपर्व–शुभकामना
       –नन्हा दीपक
गाँव में अलाव– सर्दी तीन चित्र
शुभकामनाएँ– फागुन आया
पिता की तस्वीर– आपकी पितृछाया
नया साल– हो बहुत मुबारक नया साल
         आलोकित हो नया साल
जग का मेला– कुक्कूं मुर्गा
ममतामयी– माँ एक याद
काव्यचर्चा में-
सिर्फ एक कोशिश



 

 

मौसम के परिवर्तन

अब
लगी अस्तित्व खोने वसन्ती ठण्ड
जब
नरम धूप छोड़
तेज धूप ने रखे पाँव
सुबह
ढूँढे उस ओस की बूँद को
दिखती
गुम होती आज
धरती
खोने लगी शृंगार
हरियाली
की चुनरी छोड़ चली साथ
दर्पण
क्या देखे धरणी माँ
झुर्रियों से भरी
इन्तज़ार है
अब उसे आसमां पिघलने का
अब
आस है उसे बूँदो की
कब
झुलसी यह धरती
टपकाए
मीठी खुशबू खस से भरी

२४ अक्तूबर २००५

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter