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छंमुक्त में-
कोमल मन
पाठशाला जाना है
मौसम के परिवर्तन
हो बहुत मुबारक नया साल

संकलन में
ज्योतिपर्व–शुभकामना
       –नन्हा दीपक
गाँव में अलाव– सर्दी तीन चित्र
शुभकामनाएँ– फागुन आया
पिता की तस्वीर– आपकी पितृछाया
नया साल– हो बहुत मुबारक नया साल
         आलोकित हो नया साल
जग का मेला– कुक्कूं मुर्गा
ममतामयी– माँ एक याद
काव्यचर्चा में-
सिर्फ एक कोशिश






 

 

कोमल मन
 
हरदम भरा भावनाओं से
दुख में डूबे दुखियारे को
सहेजता रहता, मेरा कोमल मन।
खुशमिजाज है यह
हास्यविभोर हो उठता खुशी में
खिलखिलाता है, मेरा कोमल मन।
दिल से दिल मिलते रहें
सुख के कण कण जियें
यही गुनगुनाता है, मेरा कोमल मन।
पर तनहाई में डुबा डुबा
इसे न कोई जान पाया
क्यों? यही सोचता रहा, मेरा कोमल मन


 

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