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पर्दा हटाया ही कहाँ है? 
ज़िन्दगी में प्यार का वादा निभाया ही कहां है 
नाम लेकर प्यार से मुझ को बुलाया ही कहां है? 
टूट कर मेरा बिखरना, दर्द की हद से गुज़रना 
दिल के आईने में ये मंज़र दिखाया ही कहां है? 
शीशा-ए-दिल तोड़ना है तेरे संगे-आसतां पर 
तेरे दामन पे लहू दिल का गिराया ही कहां है? 
ख़त लिखे थे ख़ून से जो आंसुओं से मिट गये वो 
जो लिखा दिल के सफ़े पर, वो मिटाया ही कहां है? 
जो बनाई है तिरे काजल से तस्वीरे-मुहब्बत 
पर अभी तो प्यार के रंग से सजाया ही कहां है? 
देखता है वो मुझे, पर दुश्मनों की ही नज़र से 
दुश्मनी में भी मगर दिल से भुलाया ही कहां है? 
ग़ैर की बाहें गले में, उफ़ न थी मेरी ज़ुबां पर 
संग दिल तू ने अभी तो आज़माया ही कहां है? 
जाम टूटेंगे अभी तो, सर कटेंगे सैंकड़ों ही 
उसके चेहरे से अभी पर्दा हटाया ही कहां है? 
उन के आने की ख़ुशी में दिल की धड़कन थम ना जाये 
रुक ज़रा, उनका अभी पैग़ाम आया ही कहां है? 
७ अप्रैल २००८  |