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भूलकर ना भूल पाए 
भूल कर ना भूल पाए, वो भुलाना याद है 
पास आए, फिर बिछुड़ कर दूर जाना याद है 
हाथ ज़ख़्मी हो गए, इक फूल पाने के लिए 
प्यार से फिर फूल बालों में सजाना याद है 
ग़म लिए दर्दे-शमां जलती रही बुझती रही 
रौशनी के नाम पर दिल को जलाना याद है 
सूने दिल में गूँजती थी, मद भरी मीठी सदा 
धड़कनें जो गा रही थीं, वो तराना याद है 
ज़िन्दगी भी छाँव में जलती रही यादें लिए 
आग दिल की आँसुओं से ही बुझाना याद है 
रह गया क्या देखना, बीते सुनहरे ख़्वाब को 
होंट में आँचल दबा कर मुसकुराना याद है 
जब मिले मुझ से मगर इक अजनबी की ही तरह 
अब उमीदे-पुरसिशे-ग़म को भुलाना याद है 
६ अक्तूबर २००८  |