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                  एक उदास चेहरा 
                  तमाम आरोह अवरोह के बीच  
                  खड़ा वह उदास चेहरा 
                  एक बार वह अटक जाता है 
                  तो देर तक ठहरा रहता है  
                  उस उदास चेहरे ने कोई तार भी 
                  नहीं छोड़े थे कि 
                  मैं खींच लाती उसे अपने पास 
                  मेरी विडम्बनायें भी चरम पर थी 
                  उसकी भी और दोनों विडम्बनाओं का आपसी सामंजस्य नहीं था 
                  छोड आई मैं उस उदास चेहरे को दूर कहीं 
                  अकेले, असहाय 
                  मुझें भी अकेले तो गुज़रना था अपने 
                  फैसलों की सतही सड़क पर। 
                  १४ सितंबर २००९ 
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