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चालू आरे नंगा नाच
भस्मासुर जा रहा
हँसो गीतिक हँसो
होली बीती

  भस्मासुर जा रहा

सब गया उलट,
सब गया पलट
शास्त्र निकले झूठ
कहानियाँ ग़लत।
भस्मासुर लगा है पार्वती को चाहने
देखो, देखो जा रहा है पार्वती ब्याहने।

शिव ने दिया दान वर
जल मरेगा, छुओ गर
जैसे ही वो भस्मासुर बना
बिना किए देर शिव पर ही तना
सिर पे रखा हाथ
शिव हुए खाक।
विष्णु को न आना था, आए न विष्णु
क्रोधी शिव निकले मूर्ख व सहिष्णु।
तीसरी आँख खोलना तो दूर
दोनों आँखें भी कर ली बंद।
मति हुई मंद।
भस्मासुर चौड़ा होकर चलता बना।

भस्मासुर चौड़ा होकर चलता बना
आगे तो अब वो और भी तना।
झटक लिया जाकर अमृत का मटका
सारा का सारा इक पल में गटका
विष दिया औरों को, गरदन को झटका
भस्मासुर और कुछ आगे बढ़ा।

भस्मासुर और कुछ आगे बढ़ा
लोगों की छाती पर ऐसे चढ़ा
कुछ हुए बेसुध, कुछ लगे कराहने
अब चला भस्मासुर पार्वती ब्याहने।

देखो, देखो सब देखो
देखो, देखो शिव देखो
अंतिम किला भी तुम्हारा वो डाहने।
भस्मासुर जा रहा पार्वती ब्याहने

१६ दिसंबर २००५

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