| पेड़ जब धूप से 
                  जलने लगे पेड़ जब से धूप में जलने लगे 
                  हैंलोग राहें छोड़कर चलने लगे हैं
 क्या न जाने हो गया इन उपवनों 
                  कोफूल ही अब फूल को छलने लगे हैं
 बन्द कर पलकें उन्हें रोका तो 
                  लेकिनअश्रु अपने आप ही ढलने लगे हैं
 यह तो माना है बहुत खामोश सागरकिन्तु, उनमें ज्वार भी पलने लगे हैं
 हर नदी बहती रहे अपनी तरह सेपर्वतों के हिम-शिखर गलने लगे हैं
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