| आँख से आँसू 
                  आँख से आँसू जो तुमने चुन लिएख़्वाब मेरे साथ कितने बुन लिए
 दो तटों के बीच सोई थी नदीआज फिर जागी नई-सी धुन लिए
 एक मौसम जब से कुछ समझा गयाझूमते हैं मन में इक फागुन लिए
 लाख चाहा था छुपा लूँ मैं 
                  इन्हेंफिर भी सारे गीत तुमने सुन लिए
 रोज़ आते हैं किसी के दो नयनसाथ भँवरे की नई गुन-गुन लिए
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