| ऐ सुबह 
                  ऐ सुबह कल फिर से आना राह देखेंगे 
                  तेरीरात से उलझी रही वो चाह देखेंगे तेरी
 दुख का विप पीकर भी तूने प्यार 
                  ही बाँटा सदाफिर भी जो उपजी है मन में राह देखेंगे तेरी
 पास आकर एक सागर से नदी ने यह 
                  कहाडूबने दे मुझको खुद में, थाह देखेंगे तेरी
 बेवजह तोड़े किसी ने फूल जब भी 
                  डाल सेउस घड़ी दिल से निकलती आह देखेंगे तेरी
 हो गई पूरी गज़ल तो देख लेना ऐ 
                  'रमा'प्यार से निकली हुई हर वाह देखेंगे तेरी
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