अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में देवमणि पांडेय
की रचनाएँ -

नई रचनाएँ-
पाँच मुक्तक

अंजुमन में-
इंद्रधनुष में
इस जहाँ मे
कौन सुने अब
खूब लुभाती मुंबई
चाहत के हर मुकाम पर
छम छम करती
जग में
दिल के ज़ख़्मों को
दिलवालों की बस्ती
नहीं चलता
ना हँसते हैं ना रोते है
हाल अपना

 

  कौन सुने अब

कौन सुने अब किसकी बात
ज़ख्मी हैं सबके जज़्बात

रात में जब-जब चाँद दिखा
गुज़री यादों की बारात

तेरा साथ नहीं तो क्या
गम का लश्कर अपने साथ

सावन- भादों का मौसम
फिर भी आँखों से बरसात

महफ़िल में भी दिल तनहा
चाहत ने दी यह सौग़ात

पास कहीं है तू शायद
होंठों पर हैं फिर नग़मात

जिसने देखे ख़्वाब नए
बदले हैं उसके हालात

२८ अप्रैल २००८

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter