अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में देवमणि पांडेय
की रचनाएँ -

नई रचनाएँ-
इंद्रधनुष में
कौन सुने अब
खूब लुभाती मुंबई
छम छम करती
जग में
दिल के ज़ख़्मों को
दिलवालों की बस्ती
ना हँसते हैं ना रोते है


अंजुमन में-
इस जहाँ में
चाहत के हर मुकाम पर
नहीं चलता
हाल अपना

 

पाँच मुक्तक

(१)
ग़मज़दा आँखों का पानी एक है
और ज़ख़्मों की निशानी एक है
हम व्यथाओं की कथा किससे कहें
आपकी मेरी कहानी एक है

(२)
हर ज़िंदगी का साथ निभाती है मुहब्बत
आँखों से दिल की बात बताती है मुहब्बत
दुनिया में यों तो सबके दिल हैं अलग अलग
दो दिल को फिर भी एक बनाती है मुहब्बत

(३)
इश्क़ है रिश्ता दिलों का, इक हसीं पैग़ाम का है
जो किसी का हो गया है ये उसी के नाम का है
आशिक़ी मुश्किल नहीं है रिस्क इसमें है मगर
प्यार में टूटे नहीं तो दिल भला किस काम का है

(४)
चराग़ जिसने जलाया हो दिल में चाहत का
उसे वो अपने ही हाथों से ग़ुल नहीं करता
जिसे है डूबना चुपके से डूब जाता है
कभी मुहब्बत में वो शोरोग़ुल नहीं करता

(५)
प्यार एहसास का इक हसीं साज़ है
धड़कनों में छुपा ख़ुशनुमा राज़ है
प्यार हर ख़्वाब की ऊँची परवाज़ है
लब की ख़ामोशियाँ दिल की आवाज़ है

२३ जून २००८

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter