अनुभूति में ज़ाकिर
ख़ान ज़ाकिर की रचनाएँ-
अंजुमन में-
ऐसे तेरा ख़याल
कुछ खुशियाँ
ज़र्द पत्ते
दिल के टुकड़े
ग़म मिलते हैं
छंदमुक्त में-
कर्फ्यू
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कुछ खुशियाँ
कुछ खुशियाँ कुछ गम
लिक्खे हैं
प्यार के सब मौसम लिक्खे हैं
शेअर तो हमने कम ही लिक्खे
काग़ज़ पर बस ग़म लिक्खे हैं
शहर के सड़कों चौराहों पर
मातम थे मातम लिक्खे हैं
खून में भीगी है हर उँगली
शेअर भी चश्मे-नम लिक्खे हैं
आपकी जुल्फें देख के हमने
राह के पेच-ओ-खम लिक्खे हैं
'जाकिर' ने अश्आर नहीं ये
जख्मों के मरहम लिक्खे हैं
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९ जुलाई २००५
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