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अनुभूति में ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर की रचनाएँ-

अंजुमन में-
ऐसे तेरा ख़याल
कुछ खुशियाँ
ज़र्द पत्ते
दिल के टुकड़े
ग़म मिलते हैं

छंदमुक्त में-
कर्फ्यू

 

 

दिल के टुकड़े

दिल के टुकड़े और आँखों की नमी रह जाएगी  
तुम न आए तो अधूरी ज़िन्दग़ी रह जाएगी

मौत इतने प्यार से लेगी मुझे आग़ोश में
जिन्दगी बेबस खड़ी मुँह देखती रह जाएगी

डूब जाऊँगा मैं सूरज की तरह जब शाम को
चाँद और तारों में मेरी रौशनी रह जाएगी

सारी दुनिया की किताबों के वरक उड जाऐंगे
दो जहाँ में बस कहानी प्यार की रह जाएगी

खाक में मिल जाऊँगा इक रोज तुम भी देखना
और तन्हा राह में आवारगी रह जाएगी

हम न होंगे फिर भी 'जाक़िर' पढने वालों के लिए
दास्ताँ अपनी किताबों में सजी रह जाएगी

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९ जुलाई २००५

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