अनुभूति में ज़ाकिर
ख़ान ज़ाकिर की रचनाएँ-
अंजुमन में-
ऐसे तेरा ख़याल
कुछ खुशियाँ
ज़र्द पत्ते
दिल के टुकड़े
ग़म मिलते हैं
छंदमुक्त में-
कर्फ्यू
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कर्फ़्यू
जुल्म के साये
दौड़ रहे हैं
शहर में अब भी कर्फ़्यू है
ऐसे में
इक बैवा औरत
ममता की
इक
सुन्दर मूरत
कैसे काम पे जाएगी, बस आज भी शायद
कल जैसे ही
खाली बर्तन रख चूल्हे पर
बच्चों को बहलाएगी
९ जुलाई २००५
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